
क्या द्वारपालों कन्हैया से कह दो कृष्णा हिंदी भजन लिरिक्स
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Are Dwarpaalon Kanhaiya Se Keh Do Krishna Hindi Bhajan Lyrics -HD Video Download
क्या द्वारपालों कन्हैया से कह दो
क्या द्वारपालों कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
भटकते भटकते न जाने कहाँ से
भटकते भटकते न जाने कहाँ से
तुम्हारे महल के करीब आया है
तुम्हारे महल के करीब आया है
एक सखा है शांत और एक सखा है नटखट
एक शाखा न खली है और एक की ना है बरकत
एक सखा आराम करे कोमल से हमें बिस्तर पे
और एक सखा बदलाता तात पे अपनी करवत
अंतर है काफी गहरा दो के ही हालों में है
पर अंतर न दोस्ती में, ना ही सांझी बातों में
दोस्ती अनमोल, न देखे धन का तेज
ना दाम कभी भी लगते हैं तभी मित्रों जज्बातों के
बचपन में वे साथ, आज विरह की वो खाई साहे
सखा से ज्यादा सारे उनको दूजे का भाई कहे
एक सुदामापुरी में रहते हैं, एक है बैठे द्वारका में
मिल्के आजा कान्हा से सुदामा को ये राह कहे
विनीत रहे सुदामा ने गरीबी को ही पाला है
नाम हरि का जपते, सुदामा अपनी शाला में
सुशीला और संतानों से वो है के चुपके सीधा को
मन में बोले, भव्य में क्यों निर्धनता का ताला है
दो पल की खुशी को किस्मत भी ये पीछे खींचे
दो समय की रोटी भी मुश्किल थी छोटी छत के नीचे
रो उठा था दिल सुदामा का, वो क्या करे
मजबूर को बताने भागे वो भला किसके पीछे
बात बोलने को सुशीला भी ये डरती है
पर सुदामा के आगे बात ह्रदय की करदी है
एक नाम है ऐसा जो समझौता सुदामा को
परम शाखा वो आपके जो बैठे द्वारका नगरी में
जोड़ी सुदामा के है जम पर बड़ी ही कशमकश के बीच?
कदम बढ़ाते थोड़ा फिर शर्म से लेते पीछे खींच
बार बार वो खुद से पूछे बात यही निरंतर
बाल सखा को अब भी क्या पहचान वो द्वारकाधीश
लीला हरि की होती जब, रखना पड़ता थोड़ा साबर
स्वयं हरि है बैठे वहां जिनसे चलता सारा नगर
यहां सुदामा सोचे कृष्णा उनको भूल न जाए
कृष्णा के बराबर पास है उनकी हर एक पल की खबर
न सर पे है पगड़ी, न तन पे है जामा
बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा
बता दो कन्हैया को नाम है सुदामा
तुम इक बार मोहन से जा कर के कहो
तुम इक बार मोहन से जा कर के कहो
के मिलने सखा बदनसीब आ गया है
के मिलने सखा बदनसीब आ गया है
क्या द्वारपालों कन्हैया से कह दो
क्या द्वारपालों कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
कन्हैया तक लेकर गए संदेश उनका द्वारपाल
बेखैन सुदामा की आंखें बस गाड़ी पड़ी है द्वार पर
द्वारकाधीश को बोले बात यही बस द्वारपाल
खुद को बताएं बल सखा वो आपका ही बार बार
नाम सुन सुदामा का हुए कान्हा भी बड़े बेकार
भाग द्वार को ऐसे जैसे सालों से था इंतजार
होंथो पे मुस्कान, अश्क रुके ना आँखों से
नंगे जोड़ी ही दौड़े बाल सखा का वो दीदार
द्वापर में मिलने चली है प्रेम से देखो आशा भी
द्वारका सारी देखेंगे आज मित्रों की भाषा भी
लोग हुए बालों में देखा नज़र कान्हा का
गरीब से मिलने भाग रहे हैं द्वारका के आज राजा भी
बहार खड़े सुदामा का ध्यान टीका है द्वार पे सारा
तूत राही उम्मेद कहे अब घर जाने का बच्चा है चारा
जोड़ी मुड़े लो वापसी पर तभी रुकी जोड़ी की गति
कान्हा ने जब बाल सखा को अपने पूरे दिल से पुकारा
बिना मुड़े सुदामा ने वाणी मित्र की पहचान
पीछे मुड़े तो देखा, है कान्हा की आंखों में पानी
एक दूजे की और वो भागे जैसे दोनो आतुर हो
गले लगा कर मानो यादें ताजा हुई सारी पुरानी
देख चले जोड़ी पे, कान्हा का भी दिल हिले
मिलने का सुकून, दोनो के चेहरों पर खिले
रोते हुए कान्हा ने सखा के अपने जोड़ी धोये
टपके अंशु सीधा और सुदामा के जोड़ी पे गिरे
सखा को देखे कान्हा और पूछा तुम क्या सोचते रहे
सुदामा चुपते पीड़ा निर्धनता का बोझ धरे
पूछा जब कान्हा ने "क्या लाए सखा तुम मेरे लिए"
मुट्ठी भर चावल देने को वो बड़ा संकोच करे
सुदामा यही सोचे, मैं कैसे बोलूं मेरे हाल
क्या बताऊं मैं सखा को, मेरी कटती भूकी रात
लौट गए सुदामा बिन बोले हलतों को
द्वारकाधीश जान चुके वे पर उनकी दिल की बात
क्या द्वारपालों कन्हैया से कह दो
क्या द्वारपालों कन्हैया से कह दो
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
के दर पे सुदामा गरीब आ गया है
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