#BHAKTIGAANE #MAHABHARATSHLOK #GEETASHLOK #GEETAUPDESH #KRISHNAUPDESH #MAHAKAVYASHLOK
Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता अष्टादश अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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अर्जुन उवाच
संन्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्।
त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
अर्जुन बोले —
हे महाबाहो हे हृषीकेश हे
केशिनिषूदन मैं संन्यास और
त्यागका तत्त्व अलगअलग जानना चाहता हूँ।
श्री भगवानुवाच
काम्यानां कर्मणां न्यासं संन्यासं कवयो विदुः।
सर्वकर्मफलत्यागं प्राहुस्त्यागं विचक्षणाः।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् बोले — कई विद्वान् काम्यकर्मोंके त्यागको संन्यास कहते हैं और कई विद्वान् सम्पूर्ण कर्मोंके फलके त्यागको त्याग कहते हैं। कई विद्वान् कहते हैं कि कर्मोंको दोषकी तरह छोड़ देना चाहिये और...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता सप्तदश अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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अर्जुन उवाच
ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयाऽन्विताः।
तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
अर्जुन बोले —
हे कृष्ण जो मनुष्य शास्त्रविधिका त्याग करके
श्रद्धापूर्वक देवता आदिका पूजन करते हैं?
उनकी निष्ठा फिर कौनसी है
सात्त्विकी है अथवा राजसीतामसी
श्री भगवानुवाच
त्रिविधा भवति श्रद्धा देहिनां सा स्वभावजा।
सात्त्विकी राजसी चैव तामसी चेति तां श्रृणु।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् बोले —
मनुष्योंकी वह स्वभावसे उत्पन्न हुई
श्रद्धा सात्त्विकी तथा राजसी और तामसी —
ऐसे तीन तरहकी ही होती है?
उसको तुम ...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता षोडश अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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श्री भगवानुवाच
अभयं सत्त्वसंशुद्धिः ज्ञानयोगव्यवस्थितिः।
दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् बोले —
भयका सर्वथा अभाव
अन्तःकरणकी शुद्धि ज्ञानके लिये
योगमें दृढ़ स्थिति
सात्त्विक दान इन्द्रियोंका दमन यज्ञ
स्वाध्याय कर्तव्यपालनके लिये
कष्ट सहना शरीरमनवाणीकी सरलता।
अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यागः शान्तिरपैशुनम्।
दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीरचापलम्।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
अहिंसा? सत्यभाषण क्रोध न करना
संसारकी कामनाका त्याग अन्तःकरणमें रागद्वेषजनित हलचलका न होना
चुगली न करना प्राणियोंपर दया करना
सां...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता पञ्चदश अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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श्री भगवानुवाच
ऊर्ध्वमूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित्।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् बोले —
ऊपरकी ओर मूलवाले
तथा नीचेकी ओर शाखावाले
जिस संसाररूप अश्वत्थवृक्षको अव्यय कहते हैं
और वेद जिसके पत्ते हैं?
उस संसारवृक्षको जो जानता है?
वह सम्पूर्ण वेदोंको जाननेवाला है।
अधश्चोर्ध्वं प्रसृतास्तस्य शाखा
गुणप्रवृद्धा विषयप्रवालाः।
अधश्च मूलान्यनुसन्ततानि
कर्मानुबन्धीनि मनुष्यलोके।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
उस संसारवृक्षकी गुणों
(सत्त्व? रज और तम) के द्वारा बढ़ी हुई
तथा विषयरूप कोंपलोंवाली शाखाएँ नी...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता चतुर्दश अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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श्री भगवानुवाच
परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानां ज्ञानमुत्तमम्।
यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् बोले —
सम्पूर्ण ज्ञानोंमें उत्तम
और पर ज्ञानको मैं फिर कहूँगा?
जिसको जानकर सबकेसब मुनिलोग
इस संसारसे मुक्त होकर
परमसिद्धिको प्राप्त हो गये हैं।
इदं ज्ञानमुपाश्रित्य मम साधर्म्यमागताः।
सर्गेऽपि नोपजायन्ते प्रलये न व्यथन्ति च।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
इस ज्ञानका
आश्रय लेकर जो मनुष्य
मेरी सधर्मताको प्राप्त हो गये हैं?
वे महासर्गमें भी पैदा नहीं होते
और महाप्रलयमें भी व्यथित नहीं होते।
मम योनिर्...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता त्रयोदश अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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अर्जुन उवाच
प्रकृतिं पुरुषं चैव क्षेत्रं क्षेत्रज्ञमेव च।
एतद्वेदितुमिच्छामि ज्ञानं ज्ञेयं च केशव।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
अर्जुन ने कहा —
हे केशव मैं?
प्रकृति और पुरुष? क्षेत्र
और क्षेत्रज्ञ तथा ज्ञान
और ज्ञेय को जानना चाहता हूँ।।
श्री भगवानुवाच
इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते।
एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् ने कहा —
हे कौन्तेय यह शरीर क्षेत्र कहा जाता है
और इसको जो जानता है?
उसे तत्त्वज्ञ जन? क्षेत्रज्ञ कहते हैं।।
क्षेत्रज्ञं चापि मां विद्धि सर्वक्षेत्रेषु भारत।
क्षेत्रक...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता द्वादश अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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अर्जुन उवाच
एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते।
येचाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
जो भक्त
इस प्रकार निरन्तर आपमें लगे रहकर
आप(सगुण भगवान्) की उपासना करते हैं
और जो अविनाशी निराकारकी ही
उपासना करते हैं?
उनमेंसे उत्तम योगवेत्ता कौन हैं
श्री भगवानुवाच
मय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते।
श्रद्धया परयोपेतास्ते मे युक्ततमा मताः।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
मेरेमें मनको लगाकर
नित्यनिरन्तर मेरेमें लगे हुए
जो भक्त परम श्रद्धासे युक्त होकर
मेरी उपासना करते हैं?
वे मेरे मतमें सर्वश्रेष्ठ योगी हैं।
ये ...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता एकादश अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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अर्जुन उवाच
मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसंज्ञितम्।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
अर्जुन बोले —
केवल मेरेपर कृपा करनेके लिये ही
आपने जो परम गोपनीय अध्यात्मतत्त्व जाननेका वचन कहा?
उससे मेरा यह मोह नष्ट हो गया है।
भवाप्ययौ हि भूतानां श्रुतौ विस्तरशो मया।
त्वत्तः कमलपत्राक्ष माहात्म्यमपि चाव्ययम्।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
हे कमलनयन
सम्पूर्ण प्राणियोंकी उत्पत्ति
और प्रलय मैंने विस्तारपूर्वक आपसे ही सुना है
और आपका अविनाशी माहात्म्य भी सुना है।
एवमेतद्यथात्थ त्वमात्मानं परमेश्वर।
द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं ...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता दशम अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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श्री भगवानुवाच
भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः।
यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् बोले —
हे महाबाहो अर्जुन मेरे
परम वचनको तुम फिर सुनो?
जिसे मैं तुम्हारे हितकी कामनासे कहूँगा
न मे विदुः सुरगणाः प्रभवं न महर्षयः।
अहमादिर्हि देवानां महर्षीणां च सर्वशः।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
मेरे प्रकट
होनेको न देवता जानते हैं
और न महर्षि
क्योंकि मैं सब
प्रकारसे देवताओं और महर्षियोंका आदि हूँ।
यो मामजमनादिं च वेत्ति लोकमहेश्वरम्।
असम्मूढः स मर्त्येषु सर्वपापैः प्रमुच्यते।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
जो मनुष्य मुझे अ...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता नवम अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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श्री भगवानुवाच
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे।
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् बोले —
यह अत्यन्त गोपनीय विज्ञानसहित ज्ञान दोषदृष्टिरहित तेरे लिये मैं फिर अच्छी तरहसे कहूँगा? जिसको जानकर तू अशुभसे अर्थात्
जन्ममरणरूप संसारसे मुक्त हो जायगा।
राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम्।
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम्।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।यह सम्पूर्ण विद्याओंका और सम्पूर्ण गोपनीयोंका राजा है?
यह अति पवित्र तथा अतिश्रेष्ठ है
और इसका फल भी प्रत्यक्ष है। यह धर्ममय है?
अविनाशी है
...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता अष्टम अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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अर्जुन उवाच
किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम।
अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
अर्जुन बोले — हे पुरुषोत्तम वह ब्रह्म क्या है अध्यात्म क्या है कर्म क्या है अधिभूत किसको कहा गया है और अधिदैव किसको कहा जाता है यहाँ अधियज्ञ कौन है और वह इस देहमें कैसे है हे मधूसूदन नियतात्मा मनुष्यके द्वारा अन्तकालमें आप कैसे जाननेमें आते हैं
अधियज्ञः कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन।
प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभिः।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
अर्जुन बोले — हे पुरुषोत्तम वह ब्रह्म क्या है अध्यात्म क्या है कर्म क्या है अधिभूत किसको...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता सप्तम अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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श्री भगवानुवाच
मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः।
असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् बोले हे पृथानन्दन मुझमें आसक्त मनवाला मेरे आश्रित होकर योगका अभ्यास करता हुआ तू मेरे समग्ररूपको निःसन्देह जैसा जानेगा उसको सुन।
ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः।
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
तेरे लिये मैं विज्ञानसहित
ज्ञान सम्पूर्णतासे कहूँगा
जिसको जाननेके बाद फिर
यहाँ कुछ भी जानना बाकी नहीं रहेगा।
मनुष्याणां सहस्रेषु कश्िचद्यतति सिद्धये।
यततामपि सिद्धानां कश्िचन्मां ...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता षष्टम अध्याय सभी श्लोक
Album Name: Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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मूल श्लोकः
श्री भगवानुवाच
अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः।
स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः।।6.1।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
श्रीभगवान् ने कहा जो पुरुष कर्मफल पर आश्रित न होकर कर्तव्य कर्म करता है वह संन्यासी और योगी है न कि वह जिसने केवल अग्नि का और क्रियायों का त्याग किया है।।
यं संन्यासमिति प्राहुर्योगं तं विद्धि पाण्डव।
न ह्यसंन्यस्तसङ्कल्पो योगी भवति कश्चन।।6.2।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
हे पाण्डव जिसको (शास्त्रवित्) संन्यास कहते हैं उसी को तुम योग समझो क्योंकि संकल्पों को न त्यागने वाला कोई भी पुरुष योगी नहीं होता।।
आरुरुक्षोर्मुने...
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Lyrics Name: श्रीमदभगवदगीता पंचम अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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अर्जुन उवाच
संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि ।
यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्िचतम् ।।5.1।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।।5.1।। अर्जुन बोले हे कृष्ण आप कर्मों का
स्वरूप से त्याग करने की और फिर कर्म योग
की प्रशंसा करते हैं । अतः इन दोनों साधनों
में जो निश्चित रूप से कल्याण कारक हो
उसको मेरे लिये कहिये ।
श्री भगवानुवाच
संन्यासः कर्मयोगश्च निःश्रेयसकरावुभौ ।
तयोस्तु कर्मसंन्यासात्कर्मयोगो विशिष्यते ।।5.2।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।।5.2।। श्रीभगवान् बोले संन्यास (सांख्य योग)
और कर्म योग दोनों ही कल्याण करने वाले हैं ।
परन्तु उन दोनों म...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता चतुर्थ अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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श्री भगवानुवाच
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् ।
विवस्वान् मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ।।4.1।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।।4.1।। श्रीभगवान् बोले मैंने इस अविनाशी योग
को सूर्य से कहा था । फिर सूर्य ने (अपने पुत्र)
वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने (अपने पुत्र)
राजा इक्ष्वाकुसे कहा ।
एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः ।
स कालेनेह महता योगो नष्टः परन्तप ।।4.2।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।।4.2।। हे परंतप इस तरह परम्परा से प्राप्त
इस योग को राजर्षियों ने जाना । परन्तु बहुत
समय बीत जाने के कारण वह योग इस मनुष्य
लोक में लुप्तप्राय हो गया ।
स एवायं...
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Lyrics Name:श्रीमदभगवदगीता तृतीय अध्याय सभी श्लोक
Album Name:Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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अर्जुन उवाच
ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन।
तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव।।3.1।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।।3.1 3.2।। अर्जुन बोले हे जनार्दन अगर आप
कर्म से बुद्धि(ज्ञान) को श्रेष्ठ मानते हैं तो फिर
हे केशव मुझे घोर कर्म में क्यों लगाते हैं आप
अपने मिले हुए वचनों से मेरी बुद्धि को मोहित
सी कर रहे हैं । अतः आप निश्चय करके एक
बात कहिये जिससे मैं कल्याण को प्राप्त हो जाऊँ ।
व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं मोहयसीव मे ।
तदेकं वद निश्िचत्य येन श्रेयोऽहमाप्नुयाम् ।।3.2।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।।3.1 3.2।। अर्जुन बोले हे...
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Lyrics Name:श्रीमद्भगवतगीता श्लोक द्वितीय अध्याय सभी श्लोक
Album Name: Shrimad Bhgwat Geeta Mahakavya
Published Year:2017
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सञ्जय उवाच
तं तथा कृपयाऽविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् ।
विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ।।2.1।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।।1.1।।सञ्जय बोले वैसी कायरता से आविष्ट उन
अर्जुन के प्रति जो कि विषाद कर रहे हैं और आँसुओं
के कारण जिनके नेत्रों की देखने की शक्ति अवरुद्ध हो
रही है भगवान् मधुसूदन ये (आगे कहे जानेवाले) वचन बोले ।
श्री भगवानुवाच
कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम् ।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन ।।2.2।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।।2.2।। श्रीभगवान् बोले (टिप्पणी प0 38.1) हे अर्जुन इस
विषम अवसर पर तुम्हें यह कायरता कहाँ से प्राप्त हुई जिसका
कि श्रेष्ठ पुरुष सेवन नहीं ...
#BHAKTIGAANE #SHRIMADBHAGWATGEETA
Lyrics Name:श्रीमद्भगवतगीता श्लोक प्रथम अध्याय सभी श्लोक
Singer Name:Swami Brahmma Nand
Album Name:Shrimadbhagwatgeeta
Published Year:2017
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धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।।
॥ श्लोक अर्थ ॥
।।1.1।। धृतराष्ट्र ने कहा हे संजय धर्मभूमि कुरुक्षेत्र
में एकत्र हुए युद्ध के इच्छुक (युयुत्सव)
मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ।।1.1।।
सञ्जय उवाच
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा ।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् ।।1.2।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
।।1.2।। सञ्जय बोले उस समय वज्रव्यूह से खड़ी हुई पाण्डव सेना को
देखकर राजा दुर्योधन द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन बोला ।
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् ।
व्यूढां द्रुपद...