दानवीर करना महाभारत वारियर स्टोरी सोंग
Danveer Karna Mahabharat Warrior Story Song
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Danveer Karna Mahabharat Warrior Story Song -HD Video Download
Danveer Karna Mahabharat Warrior Story Song
धीर-वीर गंभीर करना था युद्ध नीति का ज्ञानी
वीर ना उसके जैसा कोई ना उसके जैसा था दानी
तीर चलता बिजली सा वो शास्त्रो का अभ्यासी
वाणी से शस्त्रथ करे तो लगता था सन्यासी
आसमान तक शोर मचाए विजय धनुष टैंकर
सारे तीर करण के सीधे गिरते जाकर सागर पार
ज्ञान का ना ही बल का कर्ता था वो तनिक घमण्ड
शान भर में ही कर देता दुश्मन के अंग-जिन खंड
रन-कौशल में उसके जैसा, जग में कोई नहीं था
दुनिया के लाख प्रश्नों का उत्तर सिर्फ वही था
रण थल का अभिषेक था वो धरती का सम्मान
पन्नो में अपने इतिहास के वो है वीरों की पहचान
जब करण चला समरंगन में अर्जुन का तेज परखने
तीरों पे जब तीर चले फिर पांडव लगे तडपने
कुरुक्षेत्र में स्वाद युद्ध का, चखने और छाने
देखो अंग राज राधेय चला, अब भाग कौशल दिखलाने
महावीर जब रथ पर चढ़ कर, समर भूमि में आया
पांडव सेना पर घिर आई, भाय की काली छाया
भागो- भागो प्राण बचाओ, हर कोई चिल्लया
माधव के अतिरिक्त न समझा कोई करने की माया
केशव बोले सुनो पार्थ, तुम समय न व्यार्थ गवाओ
विजय चाहते हो तो पहले अपना बन चलो
दुर्योधन आया है करने मानव-ता का मर्दन
किंटू कर्ण की मुट्ठी में है मृत्यु की भी गार्डन
कर्ण खड़ा है दुर्योधन के, प्रति कर्तव्य निभाने
आज युद्ध भूमि में दानवीर, आया है कर्ज चुकाने
सूत पुत्र यह सूर्य वीर, अब किंचित नहीं झुकेगा
इसके विजय धनुष से बनो का अब हमला नहीं रुकेगा
अग्निकुंड में जी समान वो युद्ध भस्म कर दूंगा
ताज जीत का दुर्योधन के मस्तक पर धार देगा
कौन्ते ने प्रत्यंचा पर ज्यों ही बन चढ़ाया
शेर से क्रोधित सूर्य पुत्र को अपने सम्मुख पाया
अर्जुन बोला सूत पुत्र मैं तेरे प्राण हरूंगा
धर्म राज के चरणो में गौरव का ताज धारूंगा
पांचाली की आंखों में अब आंसू नहीं रहेंगे
आज अभिमन्यु के हटारे जीवित नहीं बचेंगे
शांत हुई वह अग्नि लगी थी, लक्षगृह आंगन में
सिर्फ रक्त से आग बुझेगी, धड़क रही जो आंखों में
अर्जुन की बातों को सुन फिर अंग राज ये बोला
मैने जिसको योद्धा समझा निकला बालक भोला
वीर पुरुष यू शब्दों से लोगो को नहीं डरते
योद्धा अपने पौरुष का गौरव नहीं गिरते
सच्चे योद्धा शब्द त्याग कर शास्त्र से बातें करते
भुजदंडों के दम पर ही वो दुनिया का ताम हरते
युद्ध भूमि में परखा जाता, रण का कौशल सारा
समरंगान ही तय करता है, कौन काल से हरा
लगे बन पर बन बरसाने, युद्ध हुआ तब भीशन
राह पतन की लेकर आया, मृत्यु वाला मौसम
आसमान में विधुत जैसे बादल लगे कड़वाने
दोनो वीरो के भीतर की ज्वाला ऐसे लगी भड़कने
भाग भूमि से दूर नगर के नर नारी चिल्ले
कुरुक्षेत्र के महाप्रलय से, ईश्वर आज बचाए
तभी कर्ण के रथ का पहिया दाल-दल में आया
बलशाली अश्वो ने अपना पूरा ज़ोर लगाया
लेकिन कारण की किस्मत को कुछ भी स्वीकार नहीं था
पहिया बहार आ न शक था, अब तक धंसा वहीं था
धनुष रखा तब कर्ण निहत्था, रथ से नीचे आया
अर्जुन ने भी बन रोक कर क्षत्रिय धर्म निभाया
लेकिन कृष्णा वही खड़े थे उसी वक्त वो बोले
अर्जुन के मन में फिर कैसे रोप रहे शोले
परशुराम का दिया हुआ अभिशाप व्यर्थ न जाए
कर्ण की वो ब्रह्मास्त्र की विद्या कैसे दें भूले
युद्ध भूमि में उंच नीच तुम अर्जुन नहीं बिचारो
सूर्य पुत्र की छत पर अब अंतिम बन उतरो
माधव के वचनों को सुनकर अर्जुन कुछ सकुचाया
दिव्य शक्तियों को आमन्त्रित कर गांडीव उठाय
शास्त्र हीन पर लक्ष्य साध कर अर्जुन ने शर छोड़ा
तीर कर्ण को मार विजय रथ को फिर ऐसे मोडा
मिली पराजय, किंटू कर्ण ने जय को गले लगा लिया
रवि का बेटा देह त्याग कर, रवि में पुन: समय
दानशीला का दानी से हुआ आज अतिरेक
देह दान कर किया करना ने मृत्यु का अभिषेक
ज्ञानी दानी वीर धनुर्धर, विदा हुआ था आज
धर्म राज के सर पर। आया, कुल का रक्तिम ताज