नमस्कार दोस्तो आप ने सिद्धि के बारे में तो ज़रूर सुना होगा। जिसे प्राप्त कर साधक असम्भव से असम्भव कार्य भी संभव कर सकता है।
सिद्धि शब्द का सामान्य अर्थ है सफलता। सिद्धि अर्थात किसी कार्य विशेष में पारंगत होना। अधिकांश लोग मानते हैं कि सिद्धि तंत्र शास्त्र का हिस्सा है
और इसे प्राप्त करना सामान्य जनों के लिए संभव नहीं है। जबकि योग साधना तथा आत्मनियंत्रण के द्वारा कोई भी मनुष्य इसे आसानी से प्राप्त कर सकता है।
सिद्धियां दो प्रकार की होती हैं
एक परा और दूसरी अपरा
१: परा वो सिद्धि है जिसके द्वारा परलोक यानी स्वर्ग आदि लोकों के सुख साधनों के बारे में जाना जाता है।
२: अपरा सिद्धि वह सिद्धि है जो स्वप्न की बुद्धि से उत्पन्न होती है तथा निराकार तक का ज्ञान देती है।
हिन्दू धर्म ग्रंथों में 16 सिद्धियों का उल्लेख किया गया है, जिसकी प्राप्ति के बाद ब्रह्मांड का कोई भी कार्य किसी साधक के लिए असंभव नहीं रह जाता था।
१: वाक् सिद्धि।
इस सिद्धि द्वारा साधक जो कुछ भी कहता है, वह घटित हो जाता है। पुराने काल में सिद्ध ऋषि मुनियों में यह सिद्धि होती थी और इसी कारण वे श्राप या वरदान देने में सक्षम होते थे। वाक् सिद्धि प्राप्त होने के बाद उस सिद्ध पुरुष द्वारा बोले गए सभी शब्द अर्थपूर्ण, व्यावहारिक और अलौकिक शक्तियों से भरे होते हैं।
इस सिद्धि द्वारा कई बार जब व्यक्ति अपने चरम आवेग में होता है तब भी उसके मुख से
निकली हुई बात सच हो जाती है।
२: दिव्य दृष्टि सिद्धि |
दिव्य दृष्टि प्राप्त मनुष्य वह देख सकता है जो एक साधारण मनुष्य की आंखें कभी नहीं देख सकती हैं।
ऐसा व्यक्ति किसी का भी भूत, वर्तमान और भविष्य देख सकता है।
उन्हें समय से पूर्व ही भविष्य में होने वाली घटनाओं का ज्ञान हो जाता है तथा वह आंखें बंद करके उन अलौकिक शक्तियों को देख सकते हैं, जिसे कोई भी साधारण मनुष्य नहीं देख सकता।
३: प्रज्ञा सिद्धि |
प्रज्ञा सिद्धि के तहत व्यक्ति में स्मरण शक्ति अद्भुत तरीके से विकसित हो जाती है तथा मनुष्य के मस्तिष्क का हर वह हिस्सा जागृत हो जाता है, जिसमें असीमित ज्ञान बटोरने की क्षमता होती है। प्रज्ञा सिद्धि प्राप्त करने वाला व्यक्ति ब्रह्मांड के हर कण का ज्ञान अपनी बुद्धि में समा सकता है।
४: दूरी श्रवण सिद्धि |
दूरी श्रवण सिद्धि प्राप्त होने के बाद मनुष्य की सुनने की क्षमता और क्षेत्र असीमित हो जाते हैं। वह व्यक्ति भूत काल में घटित हुए किसी भी बातचीत या आवाज को पुनः सुन सकता है। केवल इतना ही नहीं उसमें एक सुई तक के गिरने की आवाज सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है।
5: जल गमन सिद्धी |
जल गमन का अर्थ है जल की सतह पर भ्रमण करना या जल गमन। सिद्धि प्राप्त होने के बाद कोई भी मनुष्य पानी की किसी भी सतह पर आसानी से चल सकता है। चाहे वह नदी की सतह हो, तालाब हो या समुन्द्र है।
6: वायु गमन सिद्धि
वायु गमन सिद्धि प्राप्त होने के बाद सिद्ध पुरुष का वायु पर पूरी तरह नियंत्रण हो जाता है। वह न केवल अपने शरीर को हल्का कर हवा में उड़ सकता है, बल्कि अपने शरीर का सूक्ष्म रूप धारण कर एक जगह से दूसरी जगह या एक लोक से दूसरे लोक की दूरी कुछ ही पलों में तय कर सकता है।
7: अदृश्य करण सिद्धि |
अदृश्य करण सिद्धि के अंतर्गत कोई भी मनुष्य अपने शरीर का सूक्ष्म रूप धारण कर लोगों की नजरों से ओझल हो सकता है। वह इतना सूक्ष्म हो सकता है कि लोगों की सामान्य नजरें उसे नहीं देख सकती।
८: विशोका सिद्धि की |
इस सिद्धि को प्राप्त करने के पश्चात मनुष्य में रूप बदलने की क्षमता विकसित हो जाती है।
वह व्यक्ति जब चाहे अपना रूप किसी के भी आगे बदलकर अपनी पहचान को छिपा सकता है।
९: देवक्रियानुदर्शन।
सिद्धि की मान्यता है इस सिद्धि की प्राप्ति होने के बाद मनुष्य दैवीय शक्तियों या यूं कहें कि देवताओं के साथ संपर्क साध सकता है।
10: कायाकल्प सिद्धि।
कायाकल्प का अर्थ है शरीर में बदलाव लाना। इस सिद्धि के कारण मनुष्य की शक्तियां वक्त के साथ क्षीण नहीं होती, लेकिन उनका नश्वर शरीर जर्जर होता चला जाता है। इस सिद्धि को प्राप्त करने के पश्चात कोई भी व्यक्ति अपने शरीर को फिर से युवा और आकर्षक बना सकता है, जिससे उसमें नवीनीकरण की क्षमता विकसित हो जाती है।
11: सम्मोहन सिद्धि।
सम्मोहन का अर्थ है किसी को अपने वश में करना या उसके सोचने समझने की क्षमता पर काबू पाना।
सम्मोहन सिद्धि प्राप्त करने वाला व्यक्ति किसी भी मनुष्य या पशु पक्षी को अपने वश में करके अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करवा सकता है।
12: गुरुत्व सिद्धि।
गुरुत्व का अर्थ है ज्ञान की गरिमा। ऐसा व्यक्ति असीमित ज्ञान का भंडार और स्रोत दोनों होता है तथा एक गुरु के रूप में वह उस ज्ञान को पूरे संसार में बांटता है।
13: पूर्ण पुरुषत्व सिद्धि
पूर्ण पुरुषत्व का अर्थ है निडर, साहसी और पराक्रमी होना। ऐसे व्यक्ति को भय छू भी नहीं पाता और उसमें किसी भी बुरी शक्ति या दानव से लड़ने की अद्भुत क्षमता होती है।
14: सर्वगुण सम्पन्न सिद्धि।
ऐसा सिद्ध पुरुष संसार के सभी गुणों से सम्पन्न होता है। उसमें वे सभी भावनाएं होती हैं जो लोक कल्याण या संसार के हित के लिए आवश्यक हैं। फिर चाहे वह वीरता से जुड़ा हो या दयाभाव से । ऐसे मनुष्य तेजस्वी होते हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं।
15: इच्छा मृत्यु सिद्धि की
इस सिद्धि पर विजय प्राप्त करने का अर्थ है काल पर विजय प्राप्त करना। ऐसे सिद्ध पुरुष को समय भी नहीं बांध सकता
तथा वे जब चाहें तब अपना शरीर त्यागकर नया शरीर धारण कर सकते हैं।
ऐसे व्यक्ति को मृत्यु का भय नहीं सताता, क्योंकि समय पर विजय पाकर वह मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर लेता है।
16: अनुक्रम सिद्धि
अमृत सिद्धि पा लेने के पश्चात उस सिद्ध पुरुष पर प्राकृतिक वातावरण, मौसम या भूख प्यास का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। ऐसा व्यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता और न ही उन्हें भूख प्यास सताती है।
उपरोक्त सिद्धियों के अलावा भी मार्कण्डेय पुराण और गीता में भगवान श्री कृष्ण के अनुसार आठ प्रकार की सिद्धियों का वर्णन किया गया है
जिसे अष्ट सिद्धि के नाम से जाना जाता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि माता सीता ने हनुमान जी को आठ सिद्धि और नौ निधि का आशीर्वाद दिया था।
इसलिए हनुमान चालीसा में एक पंक्ति आती है।
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, असवर दीन जानकी माता।
चलिए जानते हैं इन अष्ट सिद्धियों के बारे में जिसे प्राप्त करने के बाद मनुष्य साधारण इंसान नहीं रहता।
१: पहला है अणिमा । इसमें अपने शरीर को एक अणु के
समान छोटा कर लेने की क्षमता होती है।
२: दूसरा है महिमा। इसमें शरीर का आकार अत्यंत
बड़ा करने की क्षमता होती है।
३: तीसरा है गरिमा। इसमें शरीर को अत्यंत भारी
बना देने की क्षमता होती है।
४: चौथा है लघिमा। इसमें शरीर को भार रहित करने
की क्षमता होती है।
5: पाँचवाँ है प्राप्ति। इसमें बिना रोक टोक के
किसी भी स्थान को जाने की क्षमता होती है।
6: छठा है प्राकाम्य। इसमें अपनी प्रत्येक
इच्छा को पूर्ण करने की क्षमता होती है।
7: सातवां है ईशित्व। इसमें प्रत्येक वस्तु और
प्राणी पर पूर्ण अधिकार की क्षमता होती है।
८: आठवां है वशित्व। इसमें प्रत्येक प्राणी को
वश में करने की क्षमता होती है।
अष्ट सिद्धियां वे सिद्धियां हैं
जिन्हें प्राप्त कर व्यक्ति किसी भी रूप और देह में वास करने में सक्षम हो सकता है।
वह सूक्ष्मता की सीमा पार कर सूक्ष्म से सूक्ष्म तथा जितना चाहे विशालकाय हो सकता है परन्तु सिद्धि प्राप्त करना कोई आसान काम नहीं होता था। सिद्धि प्राप्त करने के तरीके काफी मुश्किल होते हैं।
उसके लिए कठोर तप बहुत ही सावधानी से किए जाते हैं। इस कार्य में परिश्रम के साथ तन मन सब को तपना पडता है और एक समय के बाद सब सही होने पर सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।
आप इन सब सिद्धियों में से कौन सा सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं?
कमेंट में जरूर बताइएगा।