श्री रामाष्टकम हिंदी अग्रेजी लिरिक्स अर्थ सहित
Shree Ramashtakam hindi Lyrics
Shree Ramashtakam hindi Lyrics -HD Video Download
स्वभक्तचित्तरञ्जनं सदैव राममद्वयम् ॥ १ ॥
Bhaje visesha sundaram, samastha papa khandanam,
Swabhaktha chitha ranjanam, Sadaiva rama madvayam.
I pray always that Rama,
Who is second to none,
Who is especially pretty,
Who cuts off all sins,
And who makes the mind,
Of his devotes happy.
वो जिनका रूप विशेष रूप से सुंदर है
जो समस्त पापो का खंडन करते है
जो अपने भक्त के चित्त मे वास करते है
मै उन श्री राम का भजन करता हूँ जिनके समान कोई दूसरा नहीं है
2.जटाकलापशोभितं समस्तपापनाशकम्।
स्वभक्तभीतिभंजनं भजे ह राममद्वयम् ॥ २ ॥
Jatakalapa Shobhitham, Samastha papa nasakam,
Swabhaktha bheethi bhanjanam, Bhajeha rama madvayam.
I pray always that Rama,
Who is second to none,
Who shines with his matted hair,
Who destroys all sins,
And who makes the mind,
Of his devotees free from fear.
जिनके सिर पर जटामुकुट है
जो समस्त पापो का नाश करते है
जो अपने भक्त के भय का नाश करते है
मै उन श्री राम का भजन करता हूँ जिनके समान कोई दूसरा नहीं है
3.निजस्वरूपबोधकं कृपाकरं भवापहम्।
समं शिवं निरंजनं भजे ह राममद्वयम् ॥ ३ ॥
Nija swaroopa bhodhakam, krupakaram bhavapaham,
Samam shivam niranjanam, Bhajeha rama madvayam.
I pray always that Rama,
Who is second to none,
Who shows us his real self,
Who is very merciful,
Who destroys sorrows of life,
Who considers every one equal,
Who is peaceful,
And who does all that is good
जिनका स्वरूप कोई नहीं जानता
जो सभी पर कृपा दृष्टि रखते है
जो शिव के समान दोष रहित है
मै उन श्री राम का भजन करता हूँ जिनके समान कोई दूसरा नहीं है
4.सदाप्रपञ्चकल्पितं ह्यनामरूपवास्तवम्।
निराकृतिं निरामयं भजे ह राममद्वयम् ॥ ४ ॥
Sada prapancha kalpitham, hyanamaroopa vasthavam,
Nirakruthim niramayam, Bhajeha rama madvayam.
I pray always that Rama,
Who is second to none,
Who shows the world in himself,
Who is the truth without names,
Who is someone without form,
And who is away from sickness and pain.
जो माया से प्रपंचो की रचना करते है
जिनका वास्तविक नाम कोई नहीं जानता
जो निराकार है , जो माया से परे है
मै उन श्री राम का भजन करता हूँ जिनके समान कोई दूसरा नहीं है
5.निष्प्रपञ्चनिर्विकल्पनिर्मलं निरामयम्।
चिदेकरूपसंततं भजे ह राममद्वयम् ॥ ५ ॥
Nishprapancha, nirvikalpa, nirmalam, niramayam,
Chideka roopa santhatham, Bhajeha rama madvayam.
I pray always that Rama,
Who is second to none,
Who is away from the world,
Who does not see differences,
Who is crystal clear,
Who does not have diseases,
And who stands always as,
The real form of truth.
जो प्रपंच रहित है जिनका कोई विकल्प नहीं है
जिनको माया स्पर्श नहीं कर सकती
जिनके अनेक रूप है सभी उनकी संतान है
मै उन श्री राम का भजन करता हूँ जिनके समान कोई दूसरा नहीं है
6.भवाब्धिपोतरूपकं ह्यशेषदेहकल्पितम्।
गुणाकरं कृपाकरं भजे ह राममद्वयम् ॥ ६ ॥
Bhavabdhipotha roopakam, hyasesha deha kalpitham,
Gunakaram, krupakaram, Bhajeha rama madvayam.
I pray always that Rama,
Who is second to none,
Who is the ship to cross the sea of life,
Who shines as all types of bodies.
Who does good,
And who shows mercy.
जो इस भवसागर को पार कराने वाली नौका है
कल्प के अंत मे केवल यही शेष रहते है
जो सद्गुण प्रदान करते है जो कृपा करते है
मै उन श्री राम का भजन करता हूँ जिनके समान कोई दूसरा नहीं है
7.महावाक्यबोधकैर्विराजमनवाक्पदैः।
परब्रह्म व्यापकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ७ ॥
Maha vakhya bodhakair virajamana vakpadai,
Parabrahma vyapakam, Bhajeha rama madvayam.
I pray always that Rama,
Who is second to none,
Who is so great that,
He is fit to be known through,
Great Vedic sayings,
And who is Brahmam,
Which is spread everywhere.
जिनका वर्णन महावक्यो से भी संभव नहीं है
जो समस्त वाक्यो के स्वरूप है
जो परमब्रह्म है एवं सर्वत्र व्याप्त है
मै उन श्री राम का भजन करता हूँ जिनके समान कोई दूसरा नहीं है
8.शिवप्रदं सुखप्रदं भवच्छिदं भ्रमापहम्।
विराजमानदैशिकं भजे ह राममद्वयम् ॥ ८ ॥
Shiva pradham sukhapradham, bhavaschidham bramapaham,
Virajamana desikam, Bhajeha rama madvayam.
I pray always that Rama,
Who is second to none,
Who grants peace,
Who gives us pleasure,
Who destroys the problems of life,
Who avoids illusion,
And who is the resplendent Guru.
जो शिवपद प्रदान करने वाले है
जो सुख प्रदान करने वाले है
जो संसार के भ्रम का नाश करते है
जो सर्वत्र विराजमान है
मै उन श्री राम का भजन करता हूँ जिनके समान कोई दूसरा नहीं है
॥ इति श्रीव्यासविरचितं रामाष्टकं संपूर्णम् ॥