
Shrimad Bhagwad Geeta Shlok Chapter-6 Shlok-44 ॥ श्रीमदभगवदगीता श्लोक षष्टम अध्याय –चतुश्चत्वारिंशत् श्लोक ॥
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Geeta Shlok/Lyrics Name:पूर्वाभ्यासेन तेनैव ह्रियते ह्यवशोऽपि सः।poorvaabhyaasen tenaiv hriyate hyavashopi sah.
Album Name : Shrimad Bhgwad Geeta Mahakavya
Published Year : 2016
File Size:339Kb Time Duration:00:19
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पूर्वाभ्यासेन तेनैव ह्रियते ह्यवशोऽपि सः।
जिज्ञासुरपि योगस्य शब्दब्रह्मातिवर्तते।।
॥ श्लोक का अर्थ ॥
पहले शरीरकी बुद्धिसे उसका संयोग कैसे होता है सो कहते हैं क्योंकि वह योगभ्रष्ट पुरुष परवश हुआ भी पूर्वाभ्यासके द्वारा अर्थात् जो पहले जन्ममें किया हुआ अभ्यास है उस अति बलवान् पूर्वाभ्यासके द्वारा योगकी ओर खींच लिया जाता है। यदि योगाभ्यासके संस्कारोंकी अपेक्षा अधिक बलवान् अधर्मादि कर्म न किये हों तो वह योगाभ्यासजनित स...