शनि की साढ़ेसाती और उससे बचने के उपाय

रत्न/धातु- शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सतह की कील का बना छल्ला मध्यमा में धारण करें।

मन्त्र -  ऊँ त्रयम्बकम्‌ यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं उर्वारुकमिव  बन्धनान्मृत्योमुर्क्षिय मामृतात्‌।

ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः। 

औषधि- प्रति  शनिवार सुरमा, काले तिल, सौंफ, नागरमोथा और लोध मिले हुए जल से स्नान करें।

स्तोत्र- नमस्ते कोणसंस्थय पिड्.गलाय नमोस्तुते। नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥

नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च। नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥

नमस्ते कोणसंस्थय पिड्.गलाय नमोस्तुते। नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥

दान-  शनि की प्रसन्नता के लिए उड़द, तेल, इन्द्रनील (नीलम), तिल, कुलथी, भैंस, लोह, दक्षिणा और श्याम वस्त्र दान करें।

टोटका - शनिवार के दिन उड्रद, तिल, तेल, गुड़ लिकी लड्डू बना लें और जहाँ हल न चला हो वहां गाड़ दें।

शनि की शान्ति के लिए बिच्छू की जड़ शनिवार को काले डोरे में लपेट कर धारण करें।

व्रत- शनिवार का व्रत रखें। व्रत के दिन शनिदेव की पूजा (कवच, स्तोत्र, मन्त्र जप) करें। शनिवार व्रतकथा पढ़ना भी लाभकारी रहता है।  व्रत में दिन में दूध, लस्सी तथा फलों के रस ग्रहण करें, सांयकाल हनुमान जी  या भैरव जी का दर्शन करें। काले उड़द की खिचड़ी (काला नमक मिला सकते हैं)  या उड़द की दाल का मीठा हलवा ग्रहण करें।