
राधे गोविंदा कृष्णा हिंदी भजन लिरिक्स
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भजमन राधे (राधे), राधे (राधे) राधे गोविंदा
राधे, राधे, राधे, गोविंदा (हे) X2
गोलोक से शुरू कहानी जो थी पहचान द्वापर में
आज भी कहानी तीनो लोको में ये व्यापक है
ब्रह्मा का सन्देश लिए श्रीदामा बोले नारद को
मिलूंगा मेरे कृष्णा से उनके धाम जाकार मैं
परम बड़े वो भक्त प्रभु के सारों में मशहूर वे
कशमकश में प्रभु खड़े पर उस क्षण में जरूर वे
श्याम जो रहते एक पल भी ना प्रेम भाव से कभी अलग
भक्ति में डूबे श्रीदामा प्रेम नाम से दूर वे
नाम प्रभु के जाते वे वो रात समय से प्रति: काल
नाम कभी न लेना भूले वो तो अपने त्राता का
गोलुक में पौंछे तो वो खुद से पूछे एक सवाल
प्रभु से पहले गूंज रहा था नाम भला क्यों राधा का
गोलोक के वासी बोले राधा ही तो प्यार है
श्याम के शब्दों का तो राधा ही आधार है
राधे राधे बोल सभी के भाग्य जाते पूरे चमक
कान्हा है 'गर काव्य-कला तो राधा उनका सार है
बातें सुन बालों में वे और सोचेंगे कैसे बात रखूं
प्रभु से पहले क्यों ही भला उस राधा का मैं नाम जापुन
जिनसे चलती सारी धारा में उन्हीं प्रभु का सेवक हूं
बिन कृष्ण के मैं न भला किसी और से काम रखूं
नाम बना था राधा का उसके दिल में आतिश
जिद बनी थी शिरदामा की स्वयं बड़ी ही आफत
गोलोक में बोल उठे वे बात बड़ी ही सहज से
न प्रेम बड़ा है भक्ति से मैं कर दूंगा ये साबित
भजमन राधे (राधे), राधे (राधे) राधे गोविंदा
राधे, राधे, राधे, गोविंदा (हे) X2
बातें सुन प्रभु पर धीरे से मस्काते है
आने वाली लीला का इशारा दिए जाते हैं
पर्दा डाले अहम भक्तों की भक्ति पे जब
अहम के निवारण को वो लीला लेकर आते हैं
खेल के वो लीला ही श्रीदामा को बातेंगे
भक्ति और प्रेम का वो अंतर लेके आएंगे
प्रेम की जिस ताकत से श्रीदामा था अंजान
प्रेम की परिभाषा को वो लीला से समझेंगे
प्रभु बोले सरो को कोई कारण दो
भक्ति बड़ी प्रेम से ये सरों को उधार दो
लीला समझा वो ना उनकी, करने चला वैसा ही
अहम संग उसके मुह से भक्ति का उच्चारण हो
बोला मेरे प्रभु बिन जग सारा ये आधा है
स्थिर है वो स्वयं, आधार नहीं राधा है
प्रभु न कविता, वो तो स्वयं ही रचयिता
तुम ही ये बताओ फिर सार कैसे राधा है?
राधा को वो रोक लिए स्वाभिमानी ववानी
दूर मेरे प्रभु से ही ठीक है तुम्हारी
राधा को तो खींचे पर स्वयं उनके श्याम जब
सकेगा ना रोक यूज़ जग में कोई प्राण
राधा तुम्हारे एक सुनी ना, दूर चली मेरी बातों से
होने वाली दूर हो तुम गोलोक के वादे से
देता हूं मैं आकार तुम्हें कि विरह को तुम देखोगी
जन्मोगी की तुम धरती पर बिना प्रभु की यादों के
भजमन राधे (राधे), राधे (राधे) राधे गोविंदा
राधे, राधे, राधे, गोविंदा (हे) X2
सारो के दिलों तुम्हारे व्यथा भर सा भर डाला
सारों के सरों पे घूमे मेघ दुखों का बस काला
सोचा न परिणाम तुमने क्या होगा इस शाप का
शाप देके श्याम को ही आधा तुमने कर डाला
कोस रहे वे खुद को वो जब गलती का एहसास हुआ
ज़िंदा रह के भक्त प्रभु ये चलती फिरती लाश हुआ
भक्ति के अभिमान में देखी मैंने ना राधा की छवि
तू गया मैं सारा और पश्चताप का ग्रास हुआ
शिरदामा को बोले कृष्ण भारी मन को नीचे रख
वजह छुपी है गहरी बड़ी दीये आकार के पीछे तक
ईश्वर को न खुश करता है भक्ति का अभिमान कभी
सेतु है वो प्रेम जो सीधा आता है ईश्वर तक
संदेश क्या है वो श्रीदामा जो साथ तुम्हारे आया है
वो बोले ब्रह्मा जी ने मुझे को ये बताया है
लीला समझे सारी, जैसे ही श्रीदामा बोले
मृत्युलोक पे जाने का समय प्रभु का आया है
राधा सब कुछ भुलगी बस इसी बात का भर पड़े
पानी लेके आंखों में वो राधा का श्रृंगार करे
धरती पे सब जाने क्या होता सच्चा प्रेम है
राधा और कृष्णा के जरीए सारे सच्चा प्यार पढ़े
द्वापर की लीला भी तो प्रभु की मर्जी थी
राधा भी तैयार खादी दोनो आंखें भर के थी
कृष्ण ने उन्हें विदा किया, कह के बस बात यही
धरती पे मिलूंगा मैं राधे तुमसे जल्दी ही
उसका मुझे भूल जाना हमारे प्रेम की एक परीक्षा है
और यूज जब सब कुछ याद आएगा, मुझे उस पल की परीक्षा है
भजमन राधे (राधे), राधे (राधे) राधे गोविंदा
राधे, राधे, राधे, गोविंदा (हे) X4
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